Friday 8 April 2022

क़ित्ऽ ५५

कह्‌ते हैँ सब् किः वॊ ख़ुश्‌बाश्-ए निशेमन् भी था ।
हाँ, वही शख़्स्, जो नौ-वारिद-ए गुल्‌शन् भी था ।
याद् रख्, भूल् न जा, ऐ गुल्-ए रऽना-ए बहार् !
इस् गुलिस्ताँ मेँ कभी बुल्‌बुल्-ए “रौशन्” भी था ॥



ख़ुश्‌बाश् = unrestrained; temporary resident; one newly settled; living comfortably.
निशेमन् = seat; nest; residence.
शख़्स् = person, individual.
नौ-वारिद = new comer.
गुल्‌शन् = a rose (flower) garden
गुल् = rose (flower)
रऽना = graceful, adorned; delicate.
बहार् = the spring season.
गुलिस्ताँ = a rose (flower) garden.



Cirrus Logic International Semiconductors Ltd. मेँ इस्‌तॆऽफ़ा देने के बऽद.


Thursday 13 November 2014

ग़ज़ल् ५४

तन्हाइयोँ की बात् न अब्‌के करो जनाब्
जाम् उठ् न जाए फिर् से न बद्‌नाम् हो शराब् [१]

ग़ाज़ः लगा के रुख़् पॆ जो निक्‌ला है माह्‌ताब् [२]
इस् चौध्‌वीँ की रात् तो हर् रिन्द् हो ख़राब्

"ऐ रह्मत्-ए तमाम्! मेरी हर् ख़ता मुऽआफ़्" [३]
आँखोँ के साम्‌ने है सरक्‌ता हुआ निक़ाब

साक़ी, वॊः सर झुकाके तो आता है मय्‌कदे
ज़ाहिद् मेँ पर् नहीँ है तुझे देख्‌ने की ताब्

इक् दिन् तुम्हारे क़ब्ल् न इक् दिन् तुम्हारे बऽद् !
मेरी हयात् का हुआ जाता है इन्तॆख़ाब्

चम्‌केँगे अब्‌की बार् सितारे नसीब् के
"रौशन्", निगाह्-ए यार् की देखेँ जो आब्-ओ-ताब्

[१] मेरे दोस्त् 'सागर् पवार्' के कहे एक मज़्मून् से वाबस्तः
[२] एक् Total Lunar Eclipse की तरफ़् इशारः
[३] 'जिगर् मुरादाबादी' की ग़ज़ल् "साक़ी की हर् निगाह् पॆः बल्खाके पी गया" से



तन्हाई = loneliness, solitude.
जनाब् = title of respect.
जाम् = goblet, drinking vessel.
ग़ाज़ः = rouge for the face.
रुख़् = face; cheek.
माह्‌ताब् = the moon.
रिन्द् = rogue; drunkard, profligate.
रह्मत् = mercy; (divine) pardon; blessing.
तमाम् = complete; perfect; whole.
ख़ता = fault; offence; failure.
निक़ाब् = veil (for the face).
साक़ी = cup-bearer.
मय्‌कदः = tavern.
ज़ाहिद् = devout; (religious) zealot.
ताब् = strength, capability.
क़ब्ल् = prior (to), before.
हयात् = life.
इन्तॆख़ाब = extract; choice.
आब्-ओ-ताब् = brightness, lustre; majesty, glory.



Monday 24 December 2012

ग़ज़ल् ५३*

ऐ ऽइश्क़् मुझे बर्बाद् तो कर्
ना-शाद् हूँ मैँ, तू शाद् तो कर्

कुछ् ताज़ः सितम् ईजाद् तो कर्
या ज़ीस्त् से तू आज़ाद् तो कर्

हूँ सर् को झुकाए दर् पॆः तेरे
इस् भक्त् से कुछ् संवाद् तो कर्

लाएगा कभी यॆः ऽइश्क़् भी रंग्
दिल् दर्द् से तू आबाद् तो कर्

मह्बूब् का दिल् पत्थर् ही सही
तू ऽअज़्म् तेरा फ़ौलाद् तो कर्

दुन्या को भी ठुक्‌रा दूँ मैँ, मगर्
"रौशन्", तू कभी इर्शाद् तो कर् !?

* - नय्यारा नूर् की गाई हुई ग़ज़ल् "ऐ ऽइश्क़् हमेँ बर्बाद् न कर्" की नज़्र् ।


ऽइश्क़् = love, passion.
शाद् = delighted, cheerful.
ताज़ः = fresh, new.
सितम् = tyranny, violence.
ईजाद् कर्‌ना = to create.
ज़ीस्त् = life, existence.
आज़ाद् कर्‌ना = to set free; to liberate.
दर् = door, gate.
भक्त् = devotee, follower.
संवाद् = conversation, discourse.
आबाद् कर्‌ना = to make habitable; to people.
मह्बूब् = beloved.
ऽअज़्म् = determination.
फ़ौलाद् = steel.
इर्शाद् कर्‌ना = to command.