Sunday 15 November 2009

ग़ज़ल् ४२

यूँ भी थे गर्दिश्-ए अय्याम् के मारे हुए लोग्
ख़ाक् मेँ और भी रौँदे गए हारे हुए लोग्

सर्-गराँ भी हुए हैँ "सुब्ह् की तारीकी" मेँ
शब् , ब-नूर्-ए मय्-ए ना-याब् , गुज़ारे हुए लोग् *

रस्म्-ए दुन्या है यही और् यही दुन्या-दारी
हम् तुम्हारे न हुए थे कि हमारे हुए लोग्

आग् मेँ जल्‌के उन्हेँ ख़ाक् ही बन्‌ना होगा
फिर् के आते नहीँ पर्-लोक् सिधारे हुए लोग्

कौन् हैँ मह्रम्-ए इस्रार्-ए ख़्व़ुदी दह्र् मेँ , जुज़्
अप्‌नी तद्बीर् से तक़्दीर् सँवारे हुए लोग्

कम् ही मिल्‌ते हैँ मगर् ज़ह्न्-निशीँ रह्‌ते हैँ
दिल् की राहोँ से रग्-ए जाँ मेँ उतारे हुए लोग्

छोड़् दो अब् सर्-ए बाज़ार् यॆः तज़्लील् उस्‌की
कुछ् तो "रौशन्" के तरफ़्दार् भी , बारे , हुए लोग्

* "सुब्ह् की तारीकी" का इस्तॆऽआरः, बल्किः वॊः पूरा शॆऽर्, डौ. ऽअली मीनाई की ग़ज़ल् "सो गए थक्‌के ग़म्-ए ज़ीस्त् के मारे हुए लोग्" के एक् शॆऽर् से निस्बत् रख्‌ता है.



गर्दिश्-ए अय्याम् = vicissitudes of time.
ख़ाक् = dust, earth; ashes; nothing whatever.
रौँद्‌ना = to tread down; to crush.
सर्-गराँ = head heavy with hangover; proud.
तारीकी = darkness.
शब् = night.
ब-नूर्-ए मय्-ए ना-याब् = with the illumination of rare wine.
रस्म् = custom, practice.

दुन्या-दारी = worldly affairs.
पर्-लोक् सिधार्-ना = to depart this world for the next.
मह्रम्-ए इस्रार्-ए ख़्व़ुदी = confidante of the mysteries of the self.
दह्र् = time; world.
जुज़् = other than.
तद्बीर् = forethought; plan; skill.
तक़्दीर् = divine decree; fate.
सँवार्-ना = to construct; to adorn; to rectify, improve.
ज़ह्न्-निशीँ = fixed/impressed in the mind.
रग् = artery, fibre.
सर्-ए बाज़ार् = in the public square.
तज़्लील् = humiliation.
तरफ़्दार् = partisan; follower.
बारे = once, all at once; at last.


Sunday 8 November 2009

ग़ज़ल् ४१

पर्वर्‌दिगार् ! कुव्वत्-ए काफ़िर् तो देख्‌ना
होता है रोज़् याँ बुत्-ए ग़ाफ़िल् से साम्ना

बंदा-नवाज़् ! यॆः तॆरा कैसा नवाज़्‌‌ना
सॆह्रा है तू मगर् नहीँ "मज्नूँ" से आश्ना

साक़ी , तू माप्-कर् मय्-ए पुर्-तुन्द् उबाल्‌ना
हम् सर्-ख़्व़ुदोँ का कौन् है ? तू ही सँभाल्‌ना

"रौशन्" , तू फ़ार्सी मेँ ज़ियादः न बोल्‌ना
उत्कृष्ट हो जो तू कहे उर्दू मेँ भावना

सागर् मेँ बूँद् , अग्नि मेँ घी , और् हवा मेँ बू !
होता है हर् पतंग् किसी शम्ऽ मेँ फ़ना

अफ़्शाँ लहू-ए ऽआशिक़्-ए बिस्मिल् है हर् तरफ़्
होता है यूँ मिझ़ः से , क़साई की , साम्ना

कैसी ऽअजब् है वस्ल् की तृष्णा , कि आज् भी
आँखेँ बिछाए राह् मेँ राधा है , मोहना

आज़ाद् रूह् है , उसे आज़ाद् रॆह्‌ने दो !
दीवार् मेँ "अनार्‌कली" को न गाढ़्‌ना

पाएगा जिस् को ढूँढ् रहा है तू दर्-ब-दर्
इक् बार् अप्‌नी रूह् के अंदर् भी झाँक्‌ना

आया था कब् जहान् मेँ "रौशन्" किसी के संग्
जाएगा छोड़् कर् भी अकेला ही , देख्‌ना



पर्वर्‌दिगार् = nourisher, protector; met. address to God.
कुव्वत् = strength, power.
काफ़िर् = infidel; met. lover / beloved.
बुत् = idol; beloved.
ग़ाफ़िल् = neglectful; careless.
बंदा-नवाज़् = cherisher of servant; met. address to God.
नवाज़्-ना = to caress, to soothe.
सॆह्रा = desert; met. a land full of possibilities.
आश्ना = acquainted.
साक़ी = cup-bearer; met. God.
मय् = wine.
तुन्द् = sharp, acrid; fierce.
सर्-ख़्व़ुद् = independent.
उत्कृष्ट = superior; exalted.
पतंग् = moth.
शम्ऽ = candle.
अफ़्शाँ = scattering; pouring out.
बिस्मिल् = slaughtered, sacrificed.
मिझ़ः = eyelash.
क़साई = butcher.
वस्ल् = union (with beloved).
तृष्णा = desire; thirst.
दर्-ब-दर् = door to door.
रूह् = soul.