Saturday, 6 July 2002

ग़ज़ल् २१

दिल्-ए तंग् के आप् मॆह्माँ हुए
तो जीवन् के दो रोज़् आसाँ हुए

जब् आप् आए तो रौश्‌नी हो गई
चराग़ोँ को गोया फिर् अर्माँ हुए

बहारोँ की मस्ती नज़र् से जो पी
हमेँ ऽइश्क़् के फिर् से अर्माँ हुए

ज़ुबाँ कट् गई है मगर् देख् तो
चराग़्-ए नज़र् सद्-फ़ुरोजाँ हुए

तेरे साथ् गो कोई हस्रत् न थी
तेरे बऽद् अर्माँ के अर्माँ हुए

(कित्ऽ)
अब् , ऐ रश्क्-ए गुल्‌शन् , जो तू चल् दिया
चमन्‌ज़ार् तुझ् बिन् बयाबाँ हुए
जहाँ फूल् खिल्‌ते थे तेरे हुज़ूर्
बिना तेरे अब् दश्त्-ए वीराँ हुए

जो फ़ुर्क़त् मेँ तंगी-ए दिल् देख् ली
तो हैराँ हुए हम् परेशाँ हुए

ग़ज़ल् कह् रहे थे ख़्व़ुशी की , मगर्
यॆः अश्ऽआर् काहे को नालाँ हुए




Outliers
वॊः क्या तर्ज़्-ए साक़ी थी "रौशन्" जहाँ
सभी रिन्द्-ए काफ़िर् मुसल्‌माँ हुए




तंग् = confined; barren; distressed; dejected, sick (at heart).
रोज़् = day.
चराग़् = wick (for lamp); lights.
गोया = as it were, as though.
अर्माँ = desire; longing.
मस्ती = intoxication; lust.

सद् = hundred.
फ़ुरोजाँ = shining, luminous, resplendent.
सद्-फ़ुरोजाँ = a hundred fold luminous.
गो = even if, although.
हस्रत् = grief, regret; desire.
बऽद् = after, subsequent (to).
रश्क्-ए गुल्‌शन् = envy of the rose-garden.
चमन्‌ज़ार् = a verdant meadow.
बयाबाँ = desert, wilderness.
(-के) हुज़ूर् = in the presence (of).
दश्त् = desert; forest.
वीराँ = laid waste, ruined; desolate.
फ़ुर्क़त् = separation; absence (of a beloved person).
तंगी = straitness, tightness; distress, poverty; stinginess.
हैराँ = bewildered, disturbed; distressed.
परेशाँ = scattered; confused; perplexed, bewildered; distressed.
अश्ऽआर् = verses.
नालाँ = groaning, complaining; lamentable.
तर्ज़् = fashion; style of conduct.
साक़ी = cup-bearer; bar-tender.
रिन्द् = sceptic; rogue; drunkard.
काफ़िर् = infidel, impious.


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