Tuesday, 15 June 2010

ग़ज़ल् ४६

मुद्दतोँ के बऽद् उन्‌का साम्ना है आज् फिर्
मेरे काफ़िर् दिल् मेँ दीपक् जल् उठा है आज् फिर्

चार् दिन् की ज़िन्दगी और् जुर्ऽअत्-ए पर्वानः देख् !
शम्ऽओँ के आतिश्-कदः मेँ डूब्‌ता है आज् फिर्

रंग् लाई किस् क़दर् तू , ऐ हवा-ए नौ-बहार् !
आतिश्-ए गुल् मेँ चमन् सारा जला है आज् फिर्

क़त्ल् कर् के हर् मिझ़ः से , हाय् चश्म्-ए नीम्-बाज़् !
अप्नी पल्‌कोँ को गुलिस्ताँ कर् दिया है आज् फिर्

ऽइश्क़् मेँ पूरा बरह्‌नः होके , रुस्वाई ! , तॆरे
जामः-ए आग़ोश् मेँ "रौशन्" ढला है आज् फिर्



मद्दत् = length of time; long time.
काफ़िर् = infidel, impious; ungrateful.
जुर्ऽअत् = audacity, temerity, courage.
पर्वानः = moth; butterfly; (poet.) lover.
शम्ऽ = candle; lamp.
आतिश्-कदः = furnace; fire-temple.
रंग् लाना = to bloom; to accomplish wonders; to bring about a change.
हवा = air, gentle wind; carnal lust; desire.
नौ-बहार् = new spring.
आतिश् = flame; passion.
गुल् = rose; flower; red-patch.
चमन् = flower-bed; flower-garden.
क़त्ल् = slaughter, carnage.
मिझ़ः = eyelash; eyelid.
निगाह् = look, glance.
नीम्-बाज़् = half thrown back, half open.
पलक् = eyelid; eyelash.
गुलिस्ताँ = rose-garden.
ऽइश्क़् = love, passion.
बरह्‌नः = naked, bare.
रुस्वाई = dishonour, disgrace.
जामः = garment, robe.
आग़ोश् = embrace.


1 comment:

Pinky said...

can you believe it I was looking for a "Like" button next to the ghazal (shame on me)
it was beautiful though (as usual I had to read it at least 3 times before getting the meaning)