"हम् हैँ मताऽ-ए कूचः-ओ बाज़ार् की तरह्" *
हर् "मैनॆजर्" यहाँ है ख़रीदार् की तरह्
"प़्रौडक्ट्" , "प़्रोग्रैम्" बदल् कर् नए हुए
हम् थम् गए मगर् , दिल्-ए बीमार् की तरह्
गो साल् दूस्रा है , पॆ ऽआलम् रहा वही
जक्ड़े गऐ हैँ फिर् से गुनॆह्गार् की तरह्
हर् दिन् "बना बना के" परेशान् कर् दिया !
गोया-कि हम् होँ गेसू-ए दिल्दार् की तरह्
"रौशन्" , तेरी क़सम् कि दम् आया है नाक् मेँ !
रोज़ी गले पड़ी रसन्-ओ दार् की तरह्
* यॆः मिस्राऽ मज्रूह् सुल्तान्पूरी का है । दर्ज्-ए बाला ग़ज़ल् मज्रूह् साहिब् की उसी ग़ज़ल् की ज़मीन् मेँ कही गई है ।
मताऽ = merchandise; goods.
कूचः = narrow street, lane.
गो = even if, although; notwithstanding that.
ऽआलम् = the world; age, time; condition, circumstances.
किसी को बनाना = (idiom.) to hoodwink someone.
परेशान् = dishevelled, tossed (as hair); troubled, distressed.
गोया-कि = as though.
गेसू = the hair of a woman's head.
दिल्दार् = a lover, mistress, sweetheart.
नाक् मेँ दम् आना = (lit.) "the breath to come to one's nostrils", (idiom.) to be greatly worried or harassed.
रोज़ी = daily work, employment, means of subsistence.
गले पड़्ना = to fall on the neck (of); to hang upon (in entreaty or enforcement); to be a load.
रसन् = rope, cord.
दार् = gallows; impaling stake.
रसन्-ओ दार् = noose and the gallows.
Tuesday, 2 February 2010
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