पर्वर्दिगार् ! कुव्वत्-ए काफ़िर् तो देख्ना
होता है रोज़् याँ बुत्-ए ग़ाफ़िल् से साम्ना
बंदा-नवाज़् ! यॆः तॆरा कैसा नवाज़्ना
सॆह्रा है तू मगर् नहीँ "मज्नूँ" से आश्ना
साक़ी , तू माप्-कर् मय्-ए पुर्-तुन्द् उबाल्ना
हम् सर्-ख़्व़ुदोँ का कौन् है ? तू ही सँभाल्ना
"रौशन्" , तू फ़ार्सी मेँ ज़ियादः न बोल्ना
उत्कृष्ट हो जो तू कहे उर्दू मेँ भावना
सागर् मेँ बूँद् , अग्नि मेँ घी , और् हवा मेँ बू !
होता है हर् पतंग् किसी शम्ऽ मेँ फ़ना
अफ़्शाँ लहू-ए ऽआशिक़्-ए बिस्मिल् है हर् तरफ़्
होता है यूँ मिझ़ः से , क़साई की , साम्ना
कैसी ऽअजब् है वस्ल् की तृष्णा , कि आज् भी
आँखेँ बिछाए राह् मेँ राधा है , मोहना
आज़ाद् रूह् है , उसे आज़ाद् रॆह्ने दो !
दीवार् मेँ "अनार्कली" को न गाढ़्ना
पाएगा जिस् को ढूँढ् रहा है तू दर्-ब-दर्
इक् बार् अप्नी रूह् के अंदर् भी झाँक्ना
आया था कब् जहान् मेँ "रौशन्" किसी के संग्
जाएगा छोड़् कर् भी अकेला ही , देख्ना
पर्वर्दिगार् = nourisher, protector; met. address to God.
कुव्वत् = strength, power.
काफ़िर् = infidel; met. lover / beloved.
बुत् = idol; beloved.
ग़ाफ़िल् = neglectful; careless.
बंदा-नवाज़् = cherisher of servant; met. address to God.
नवाज़्-ना = to caress, to soothe.
सॆह्रा = desert; met. a land full of possibilities.
आश्ना = acquainted.
साक़ी = cup-bearer; met. God.
मय् = wine.
तुन्द् = sharp, acrid; fierce.
सर्-ख़्व़ुद् = independent.
उत्कृष्ट = superior; exalted.
पतंग् = moth.
शम्ऽ = candle.
अफ़्शाँ = scattering; pouring out.
बिस्मिल् = slaughtered, sacrificed.
मिझ़ः = eyelash.
क़साई = butcher.
वस्ल् = union (with beloved).
तृष्णा = desire; thirst.
दर्-ब-दर् = door to door.
रूह् = soul.
Sunday, 8 November 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment