Friday, 29 December 2000

नज़्म् ११ (हुजूम्-ए रुबाई)

(१)
हर्फ़्-ए साक़ी से वासितः रख्‌ता हूँ ।
बन्दे को हरम् से आश्नः रख्‌ता हूँ ।
पर् दिल् तो रहा काफ़िर् , सो इक् बुत् से
उम्मीद्-ए महब्ब्त्-औ वफ़ा रख्‌ता हूँ ॥

(२)
जब् जल्वः-अंगेज़् उसे पाता हूँ
हुस्न्-ए नायाब् रू-ब-रू पाता हूँ ।
यूँही नहीँ कर्‌ता मैँ ऽइबादत् उस्‌की
उस् मेँ तो ख़ुदा की सूरत् पाता हूँ ॥

(३)
अह्वाल्-ए जिगर् जब् कह्‌ने जाता हूँ
दिल् मेँ इक् तूफ़ाँ लेके जाता हूँ ।
सिल् जाते हैँ लब् उस्‌को देख्‌ते बस्
अप्‌ने तूफाँ मेँ डूब्‌ता जाता हूँ ...

(४)
दिल् मेँ इक् तस्वीर् लिए जाता हूँ
और् रात् तसव्वुर् मेँ किए जाता हूँ ।
फिर् जी लेता हूँ मैँ महब्बत् के दर्द्
जब् ख़्व़ाबोँ मेँ उस्‌को लिए जाता हूँ ॥

(५)
ख़्व़ाबोँ के सहारे अब् जी लेता हूँ ।
फ़ुर्क़त् का ज़ह्र् भी मैँ पी लेता हूँ ।
हो उस्‌के ऽआलम्-ए तग़ाफ़ुल् मेँ सही
"रौशन्" की तर्ह् मैँ भी जी लेता हूँ ॥



हुजूम् = crowd, mob; swarm.
रुबाई = quatrain (with specific meter and rhyme schemes).
हर्फ़् = blame, censure, reproach.
साक़ी = cup-bearer; bartender; (poet. met.) god.
वासितः = relationship, connection.
बन्दः = slave; humble servant; human being.
हरम् = sacred; the temple of Mecca, or the court of the temple;
(-से) आश्नः = acquainted (with); attached (to), fond (of).
काफ़िर् = infidel; ungrateful.
बुत् = idol; mistress.
वफ़ा = fulfilment; fidelity.
जल्वः = manifestation; lustre.
अंगेज़् = rousing, raising, fomenting;
जल्वः-अंगेज़् = raising splendour.
हुस्न्-ए नायाब् = unprocurable or rare beauty.
रू-ब-रू = face to face.
ऽइबादत् = worship, adoration, devotion.
अह्वाल् = condition; case; account.
जिगर् = liver; spirit, courage.
तसव्वुर् = imagination; contemplation.
ख़्व़ाब् = sleep; dream.
फ़ुर्क़त् = separation; abandonment.
ज़ह्र् = poison, venom.
ऽआलम्-ए तग़ाफ़ुल् = period or state of unmindfulness, neglect, negligence, or indifference,
तर्ह् = manner, mode.


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